लीलावती अस्पताल में प्लाज्मा थैरेपी के चार दिन बाद कोरोना संक्रमित मरीज की मौत हो गई। महाराष्ट्र में कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थैरेपी का ये पहला मामला था। मरीज की उम्र 53 साल थी। डॉक्टर्स ने बताया कि 25 अप्रैल को मरीज को प्लाज्मा थैरेपी दी गई थी। उसके बाद हालत में थोड़ा सुधार हुआ लेकिन, 29 अप्रैल को मौत हो गई। उसके फेंफड़ों में न्यूमोनिया भी हो गया था।
अस्पताल आने से पहले 10 दिन से बुखार और गले में दर्द था
कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद मरीज 20 अप्रैल को गंभीर हालत में लीलावती अस्पताल में भर्ती हुआ था। इससे पहले 10 दिन से उसे बुखार, गले में दर्द और कफ था। एक्स-रे में मरीज के फेंफड़ों में सफेद धब्बे दिखे। शरीर में ऑक्सीजन का स्तर भी कम हो गया था। लीलावती अस्पताल के सीईओ डॉ. रविशंकर के मुताबिक मरीज को कृत्रिम सांस और एंटी-वायरल दवाएं भी दी गईं, लेकिन असर नहीं हुआ। प्लाज्मा थैरेपी के बाद थोड़ा सुधार दिखा इसलिए कोई और डोज नहीं दिया गया।
'प्लाज्मा थैरेपी में गलती होने पर उल्टा असर हो सकता है'
मुंबई में बीएमसी प्लाज्मा थैरेपी पर अध्ययन कर रही है। यह स्टडी संक्रामक बीमारियों के एक्सपर्ट डॉ. ओम श्रीवास्तव और कस्तूरबा लैब की मदद से की जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने 28 अप्रैल को कहा था कि कोरोना के लिए प्लाज्मा थैरेपी कोई अप्रूव्ड इलाज नहीं है, सिर्फ ट्रायल बेस्ड है। सही तरीके से थैरेपी नहीं होने पर विपरीत असर भी हो सकता है।
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