(मुकेश कौशिक) उत्तर प्रदेश में हाथरस की बेटी से दुष्कर्म का मामला सामने आया तो केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी चर्चा के घेरे में आ गईं। सोशल मीडिया पर उनका पीछा किया गया। पूछा गया कि वे अब चुप क्यों हैं। यूपीए की सरकार के समय और खास तौर से निर्भया मामले के बाद उन्होंने अपनी आवाज बुलंद की थी। लेकिन अब एक छोटा सा संदेश भी नहीं दिया।
भास्कर ने उनसे इस बारे में सीधे सवाल किए। इस पर स्मृति ने कहा कि उन्हें अंदाजा था कि वे निशाने पर आएंगी। स्मृति से इसके अलावा नए कृषि कानून के खिलाफ आक्रोश, चीन के मुद्दे पर विपक्ष के आरोपों को लेकर भी सवाल पूछे गए। प्रस्तुत है इंटरव्यू के प्रमुख अंश...
दुष्कर्म के खिलाफ आप आवाज उठाती रही हैं। अब हाथरस की बेटी के मामले में चुप क्यों हैं?
जवाब: राष्ट्रीय महिला आयोग और यूपी सरकार लगातार पीड़ित के परिवार के संपर्क में रहा है। जांच चल रही है, इसलिए मैं सार्वजनिक बयान नहीं दे रही हूं। मैंने मुख्यमंत्री से चर्चा की है। गृह विभाग के अधिकारियों से भी जानकारी ली। उन्होंने बताया कि तत्काल एफआईआर दर्ज हुई थी। फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिए पीड़ित को इंसाफ दिलाएंगे। यूपी सरकार ने एसआईटी के गठन की घोषणा की है।
निर्भया केस के वक्त आपने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चूड़ियां भेंट करने की पेशकश की थी। अब किसे भेंट करेंगी?
जवाब: मैं महिलाओं पर अत्याचार के खिलाफ जनता के आक्रोश को समझती हूं। सोशल मीडिया पर मुझे ट्रोल करने वालों के लिए मेरा कोई संदेश नहीं है। अमेठी जीतने के बाद यह स्वाभाविक था कि देश में मुद्दा कोई भी हो, निशाने पर हमेशा मैं रहूंगी। अमेठी लड़ते वक्त मैं यह जानती थी। मैंने इसे स्वीकार किया है।
पीड़ित का दाह संस्कार जबरन कराने की खबर है?
जवाब: मैं जांच का हिस्सा नहीं हूं। सीएम ने न्याय का संकल्प लिया है। पकड़े गए लोगों पर त्वरित कार्रवाई हो। निर्भया केस में न्याय में सालों लग गए। इस केस में न लगें, यही मेरी इच्छा है।
राहुल गांधी का कहना है कि भाजपा नेतृत्व की सरकार के रहते हुए बेटियां सुरक्षित नहीं हैं?
जवाब: राहुल तब नहीं बोलते, जब छत्तीसगढ़ में पत्रकार और राजस्थान में महिलाएं प्रताड़ित की जाती हैं। राहुल नहीं जानते कि यह वही सरकार है, जिसने दुष्कर्म के मामलों में मौत की सजा सुनिश्चित की है। राहुल वो सज्जन हैं, जिन्होंने अपने ही प्रधानमंत्री की ओर से लाया गया अध्यादेश फाड़ दिया था।
विपक्ष का आरोप है कि कृषि बिल पारित कराने में संसदीय प्रक्रियाओं का पालन नहीं हुआ?
जवाब: संसदीय प्रक्रिया के तहत विधेयक सदन में आए। संख्या के आधार पर पारित किए गए। तब राहुल गांधी और सोनिया गांधी संसद में नहीं थे। कांग्रेस ने अपने 2019 के घोषणा-पत्र में लिखा था कि वह एपीएमसी एक्ट हटाएगी। क्या राहुल मानते हैं कि उनकी माता जी ने काला चुनाव घोषणापत्र जारी किया था।
राहुल गांधी कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री चीन से डर गए हैं। चीन का नाम तक नहीं ले रहे हैं?
जवाब: संसद में विपक्ष के कई नेताओं ने जितनी जिम्मेदारी से बात रखी, उसकी आधी भी राहुल के पास होती तो कांग्रेस आज बदहाल न होती।
निर्भया मामले के बाद कानून सख्त बनाया गया। इसके बावजूद दरिंदगी खत्म क्यों नहीं हो रही है?
जवाब: पाॅक्सो कानून लाते समय भी इस पर बहस हुई थी। जिम्मेदारी सिर्फ प्रशासन की नहीं, बल्कि हर परिवार, समुदाय और जागरूकता का प्रसार करने वाले संगठनों की भी है।
चीन को कोई कड़ा संदेश?
जवाब: यह प्रधानमंत्री, विदेश मंत्रालय का विषय है। मैं हेडलाइन चेजर नहीं हूं।
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